जय जय जाहरवीर हरे जय जय गूगा वीर हरे
धरती पर आ करके भक्तों के दुख दूर करे ।। जय जय ॥
जो कोई भक्ति करे प्रेम से हाँ जी करे प्रेम से
भागे दुख परे विघन हरे, मंगल के दाता तन का कष्ट हरे ।
जेवर राव के पुत्र कहाये रानी बाछल माता
बागड़ जन्म लिया वीर ने जय-जयकार करे ॥ जय जय ॥
धर्म की बेल बढ़ाई निश दिन तपस्या रोज करे
दुष्ट जनों को दण्ड दिया जग में रहे आप खरे ॥ जय-जय ॥
सत्य अहिंसा का व्रत धारा झूठ से आप डरे
वचन भंग को बुरा समझकर घर से आप निकरे ॥ जय जय ॥
माड़ी में तुम करी तपस्या अचरज सभी करे
चारों दिशा में भक्त आ रहे आशा लिए उतरे ॥ जय जय ॥
भवन पधारो अटल क्षत्र कह भक्तों की सेवा करे
प्रेम से सेवा करे जो कोई धन के भण्डार भरे । जय-जय ।।
तन मन धन अर्पण करके भक्ति प्राप्त करे
भादों कृष्ण नौमी के दिन पूजन भक्ति करे ॥ जय जय ॥