गुरु गोरखनाथ की आरती एक शक्तिशाली प्रार्थना है जो भक्तों को आध्यात्मिक और शारीरिक दोनों तरह से लाभ प्रदान कर सकती है. आरती में गुरु गोरखनाथ की महिमा का गुणगान किया जाता है और उन्हें सभी बाधाओं से मुक्ति दिलाने के लिए प्रार्थना की जाती है. आरती को नियमित रूप से पढ़ने से भक्तों को आध्यात्मिक ज्ञान और शक्ति प्राप्त होती है. वे सभी प्रकार के भय और चिंताओं से मुक्त हो जाते हैं और उनके जीवन में शांति और समृद्धि आती है.
पढ़ें गुरु गोरखनाथ की आरती (Guru Gorakhnath Ki Aarti)–
आरती श्री गोरख नाथ जी की
कर कृपा मम ऊपर नित्य करूं सेवा ॥
शीश जटा अति सुन्दर भाल चन्द्र सोहे ।
कानन कुण्डल झलकत निरखत मन मोहे ॥
गल सेली विच नाग सुशोभित तन भस्मी धारी।
आदि पुरुष योगीश्वर सन्तन हितकारी ॥
नाथ निरंजन आप ही घट-घट के वासी।
करत कृपा निज जन पर मेटत यम फांसी ॥
ऋद्धि सिद्धि चरणों में लोटत माया है दासी ।
आप अलख अवधूता उत्तराखण्ड वासी ॥
अगम अगोचर अकथ अरूपी सबसे हो न्यारे ।
योगीजन के आप ही सदा हो रखवारे ।
ब्रह्मा विष्णु तुम्हारा निशदिन गुण गावें ।
नारद शारद सुर मिल चरनन चित लावें ॥
चारों युग में आप विराजत योगी तन धारी।
सतयुग द्वापर त्रेता कलयुग भय टारी ॥
गुरु गोरख नाथ की आरती निशदिन जो गावे ।
विनवत बाल त्रिलोकी मुक्ति फल पावे ॥