जय जय शनिदेव महाराज, जन के संकट हरने वाले।
तुम सूर्यपुत्र बलधारी, भय मानत दुनिया सारी जी साधत हो दुर्लभ काज ॥
तुम धर्मराज के भाई, जम क्रूरता पाई जी । घन गर्जन करत आवाज ॥
तुम नील देव विकरारी, भैंसा पर करत सवारी जी कर लोह गदा रहें साज ॥
तुम भूपति रंक बनाओ, निर्धन सिर छत्र धराओ जी। समरथ हो करन मम काज ॥
राजा को राज मिटाओ, जिन भगतों फेर दिवायो जी। जग में है गयी जै जैकार ॥
तुम हो स्वामी, हम चरनन सिर करत नमामि जी । पुरवो जन जन की आस ॥
यह पूजा देव तिहारी, हम करत दिन भाव ते पारी जी। अंगीकृत करो कृपालु जी ॥
प्रभु सुधि दृष्टि निहारौ, क्षमिये अपराध हमारो जी है हाथ तिहारे ही लाज ॥
हम बहुत विपत्ति घबराए, शरनागति तुमरी आए जी। प्रभु सिद्ध करो सब काज ॥
यह विनय कर जोर के भक्त सुनावें जी। तुम देवन के सिर ताज ॥