आरती श्री गोपाल जी की | Aarti of Shri Gopal ji

आरती जुगल किशोर की कीजै,

राधे धन न्यौछावर कीजै ॥ टेक ॥

रवि शशि कोटि बदन की शोभा,

ताहि निरखि मेरा मन लोभा।

गौर श्याम मुख निरखत रीझै,

प्रभु को स्वरूप नयन भर पीजै ।

कंचन थार कपूर की बाती,

हरि आये निर्मल भई छाती ।

फूलन की सेज फूलन की माला,

रतन सिंहासन बैठे नन्दलाला ।

मोर मुकुट कर मुरली सोहै,

नटवर वेष देखि मन मोहै ।

आधा नील पीत पटसारी,

कुञ्ज बिहारी गिरिवरधारी ।

श्री पुरुषोत्तम गिरवरधारी,

आरती करें सकल ब्रजनारी ।

नन्द लाला वृषभानु किशोरी,

परमानन्द स्वामी अविचल जोरी।

आरती जुगल किशोर की कीजै,

राधे धन न्यौछावर कीजै ।

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