पितु मातु सहायक स्वामी सखा,
तुम ही एक नाथ हमारे हो।
जिनके कुछ और आधार नहीं,
तिनके तुम ही रखवारे हो ।
सब भाँति सदा सुखदायक हो,
दुःख निर्गुण नाशन हारे हो ।
प्रतिपाल करो सिगरे जग को,
अतिशय करुणा उर धारे हो।
भुलि हैं हम तो तुमको,
तुम तो हमरी सुधि नाहिं बिसारे हो ।
उपकारन को कछु अन्त नहीं,
छिन ही छिन जो विस्तारे हो ।
महाराज महा महिमा तुम्हरी,
मुझसे बिरले बुधवारे हो ।
शुभ शान्ति निकेतन प्रेमनिधि,
मन मन्दिर के उजियारे हो ।
इस जीवन के तुम जीवन हो,
इन प्राणन के तुम प्यारे हो ।
तुम सों प्रभु पाय ‘प्रताप’ हरि,
केहि के अब और सहारे हो ।